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Thursday 19 September 2013

ऐ मेरे ख्वाबों में आने वाले ...

आप मेरे ख्वाबों में आकर जब मुझे छुतें तो मुझ पर एक अजब सा सुरूर छा जाता है या यूँ कहे मुझे खुद पे गुरुर जाता है। ये तो ख्वाबों की बाते ये मेरे ख्वाबों के शहजादे हकीक़त में तो आप अपनी दुनिया में ही व्यस्त रहते हैं। आपको तो इतनी भी फुर्सत नहीं की मुझ से दो पल बातें कर ले। जानते हो सैफी उस रोज़ जब में आपसे गलती से टकरा गई थी, उस दिन मेरे जिस्म को पहली बार किसी मर्द के जिस्म की महक मिली थी। ऐसी महक जिसने मेरे जिस्म को खुशबूदार बना दिया। आप तो सोरी अस्मिता कह के चले गये और मै आपके जिस्म की गर्मी से पिघलती हुई खड़ी रही। जानते है आप अब तो मै आपके नाम से पिघलने लगती हूँ...        

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