कुछ दिनों की छुट्टी पर हम अपने घर गए थे। सैफी आप मुझे बहुत याद आते थे। आपके साथ सेक्स की बात के में शरमा जाती थी। मेरा मन भी करता था की आप कहीं से आया जाओ और मेरे साथ सेक्स करो। पर वहां आप कहाँ थे। ऐसे ही एक दिन जब हम आपके ख्यालो में छत पे खड़े थे तो मुझे अपने घर के सामने के घर में एक लड़का दिखाई दिया, ये सहेली का घर था। बाद में पता चला वो लड़का फरहीन का रिश्तेदार अलीम हे। सैफी मेरे मन में आपके अलावा कोई नहीं है पर अलीम न जाने कैसे मेरे करीब आ गया। इतना करीब कि हम उसके सामने मजबूर हो गये। सैफी आप उस दिन भी हमें याद आया रहे थे जब अलीम ने मेरी स्कर्ट मेरी जाघों के नीचे खींच दी। आपकी गिफ्ट दी हुई ब्रा तो अलीम कब कि उतार चुके थे। मेरी रोमहीन टाँगे सहलाते हुए अलीम मेरे ऊपर छाते जा रहे थे। मे न सकी शायद रोकना ही नहीं चाहती थी। उनका मुस्लिम शिश्न मेरी योनि का चुम्बन लेकर उसपे प्रहार करने लगा। मेरे होठो से सिसकारियां निकल रही थी। अलीम की बेरहमी मेरे स्तनों को झेलने पड़ रही थी। अलीम की सेक्स की रफ़्तार से मे कराह उठी थी। मेरी योनि पर अलीम के मुस्लिम शिश्न की मार से बड़ी सेक्सी आवाज़े आ रही थी और वो आवाज़े अलीम को और ज्यादा सेक्स करने पे मजबूर कर रही थी। उस दिन अलीम ने हमें रगड़ के अपने घर से आने दिया। यूँ मेरी जिंदगी में दूसरा मर्द आया जिसने मेरे साथ जोरदार सेक्स किया। जबकि हम अभी 17 साल के भी पूरे नहीं हुए थे। सच सैफी, अलीम बिलकुल आपकी ही तरह मर्द है। पर सैफी शायद हमने आपको धोका दिया है पर यकीन करो अलीम के साथ सेक्स करते वक़्त हम सिर्फ आपको याद कर रहे थे।
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